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विस्तृत समाचार
वन भूक्षेत्र पुनः स्थापन परामर्शीय एक दिवसीय कार्यशाला में जिलाधिकारी सुशील कुमार ने पलायन को रोकने के लिए विभिन्न विभागों के साथ की रणनीति तय
प्रेसविज्ञप्ति सूचना/पौड़ी/दिनांक 19 सितंबर 2017, जिलाधिकारी सुशील कुमार की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में वन भूक्षेत्र पुनः स्थापन परामर्शीय एक दिवसीय कार्यशाला सम्पन्न हुई। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने जनपद की भौगोलिक विषमताओं का जिक्र करते हुए कहा कि आरक्षित वन, सिविल वन तथा वन पंचायतों को पुनस्र्थापन करने के लिए क्षेत्र की समस्याओं को मद्देनजर रखा जाना नितान्त आवश्यक है। इस कार्य के लिए ब्लाक स्तर पर प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने बंजर भूमि, जल संवर्द्धन, चैकडेम, क्लस्टर बेस खेती, फलोत्पादन, उत्तम कृषि यंत्र और बीज, दवा आदि के साथ ही पशुपालन को भी बढ़ाया दिये जाने पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने वन पंचायतों के माध्यम से वृहद स्तर पर वृक्षारोपण कार्य किये जाने को कहा। इसके लिए उन्होंने जायका व कैम्पा योजनाओं से भी सहयोग लिये जाने को कहा। उन्होंने लोगों से अपनेअपने क्षेत्रों में जलवायु व मृदा परीक्षण के बाद खेती की उत्पादन क्षमता बढ़ाने को कहा ताकि आर्थिकी सुदृढ़ हो सके। उन्होंने जनपद में पलायन की समस्या के बारे में कहा कि लोग रोजी रोटी के लिए खेती को छोड़कर पलायन कर रहे हैं जिससे खेती योग्य जमीन भी बंजर हो रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों की ओर से पलायन रोकने तथा खेती को बढ़ाने के लिए आगामी 2022 तक के पांच वर्षों में ठोस रणनीति बनायी गई है। जिसका क्रियांवयन करने के लिए सभी विभागों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि जनपद में उद्यानीकरण को बढ़ावा देने के लिए 55 हैक्टेअर भूमि पर चालीस क्लस्टर तैयार किये गये हैं। जिसके सुखद परिणाम भविष्य में प्राप्त होंगे तथा लोगों की आर्थिकी भी सुधरेगी। उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल, अल्मोड़ा से आये विशेषज्ञों की ओर से आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में छह विकास खंडों के जन प्रतिनिधियों को तत्संगत जानकारी उपलब्ध कराये जाने को कहा। इस मौके पर आज अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृृतिक संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के तत्वाधान में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बताया गया कि वनभू सेतु पुनः स्थापन के अवसरों के मूल्यांकन एवं जनपद के सरोकरों के पहचान हेतु पुनः स्थापन से संबंधित कार्यविधि का पायलेट परीक्षण व गहन अध्ययन के लिए पौड़ी जिले को चुना गया है। इससे पूर्व जनपद पिथोरागढ़ में इस कार्य को संस्थान द्वारा सम्पंन कर लिया गया है। कार्यशाला में वनभू स्थापन से संबंधित विभिन्न रेखीय विभागों एवं मुख्य हित धारकों जिसमें छह विकास खंडों पौड़ी, पाबौ, कोट, खिर्सू, कल्जीखाल तथा एकेश्वर के न्याय पंचायतों से विभिन्न जन प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया तथा अपनेअपने क्षेत्रों में आने वाली समस्याओं एवं सुझावों को भी कार्यशाला में रखा गया। कार्यशाला में आईयूसीएन की ओर से अनुश्री भट्टाचार्य, जीबी पन्त संस्थान अल्मोड़ा के संयोजक डा. जीपी पांडेय, शोधार्थी मनीशा चमोली व स्वाती नायडू के अलावा दृश्य एवं श्रव्य के माध्यम से डा. निधि भाकुनी तथा प्रशांत तड़ियाल द्वारा कार्यशाला में जानकारियां दी गई। इस अवसर पर सीडीओ विजय कुमार जोगदंडे, पीडी एसएस शर्मा, एपीडी सुनील कुमार, डीडीओ वेद प्रकाश, सीएओ डा. डीएस राणा, जिला उद्यान अधिकारी डा. नरेंद्र कुमार सहित विभिन्न विकास खंडों से आये जन प्रतिनिधि उपस्थित रहे। फोटो समाचार जिला सूचना अधिकारी पौड़ी गढ़वाल।