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विस्तृत समाचार
एडीएम रामजी शरण शर्मा ने दैवी आपदा प्रबंधन कार्यशाला में लोगों को आपदा के दौरान सचेत रहने को कहा, घटनाओं की शीघ्र जानकारी कंट्रोल रूम को देने की अपील की।
प्रेसविज्ञप्ति सूचना/पौड़ी/दिनांक 15 जून 2017, जिला प्रशासन की ओर से आज यहां संस्कृति प्रेक्षागृह में आपदा न्यूनीकरण एवं आपदा जागरूकता दिवस को लेकर दैवी आपदा प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन अपर जिलाधिकरी रामजी शरण शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस मौके पर विभिन्न विद्यालयों के छात्र छात्राओं, एसडीआरएफ, पीआरडी तथा वन विभाग के कार्मिकों द्वारा कार्यशाला में प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला में अपने विचार रखते हुए अपर जिलाधिकारी ने बताया कि आपदा बिन बुलाये मेहमान की तरह होती है जो कि कभी भी आ सकती है। उन्होंने कहा कि मानसून सत्र शुरू हो चुका है अतः हमें आपदा को लेकर संवेदनशील होने की आवश्यकता है। कहा कि जनपद में अपदा की घटनों को लिए अपदा कंट्रोल रूम चैबीसों घंटे कार्यरत है। जहां पर जिले के जनमानस द्वारा घटनाओं की सूचनाएं दूरभाष से दी जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि आपदा नियंत्रण कक्ष का दूरभाष नं 01368221840 तथा टोल फ्रि 1077 है। इसके अलावा आपदा प्रबंधन अधिकारी के मोबाइल नं0 8650922201 पर भी सूचनाएं दी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य के नौ जनपद भूकम्प की दृष्टि से जोन 4 संवेदनशील तथा अन्य चार अन्य जनपद जोन 5 के अति संवेदनशील हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर लगातार छोटेछोटे भूकम्प आते हैं जो कि एक बड़े भूकम्प की चैतावनी दे रहे हैं। जिससे व्यापक क्षति होने की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि आपदाओं को न्यूनतम करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक लोगों को इसकी जानकारी व जागरूकता से अवगत कराया जा सके। इस मौके पर एसडीआरएफ के उप निरीक्षक जेएस रावत ने दैवी आपदा को लेकर तकनीकी जानकारियां दी। कहा कि राज्य में 9 अक्टूबर 2013 को एसडीआरएफ का गठन छह कम्पनियांे के साथ हुआ। जिसमें अभी तक चार कम्पनियों का गठन राज्य सरकार द्वारा किया गया है। उन्होंनें कहा कि एसडीआरएफ के माध्यम से आपदा पीड़ितों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई जाती है। लोगों को आपदा के दौरान सुरक्षित रहने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपदा से जनधन की हानि को कम करने के लिए भी जागरूकता को होना अहम है। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक घटनाओं से घटित आपदा को प्राकृतिक आपदा माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि मानव जनति एवं प्राकृतिक आपदा जिसमें मुख्य रूप से भूकम्प, बादल फटना, सुनामी, भूस्खलन बाढ़ आदि सबसे अधिक विनाशकारी हैं। उन्होंने लोगों से इस प्रकार की दैवी आपदा के समय सुरखित स्थनों पर रहने, भूकम्परोधी भवनों का निर्माण करने, घरों में रखे समान का उचित प्रबंधन करने, सुरक्षा योजना बनाने, योजनाओं का पूर्वाभ्यास करने, आपातकालीन हैल्पकिट बनाये जाने जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां दी। कार्यशाला में एसडीआरएफ के माध्यम से विभिन्न घटनाओं को न्यूनतम किये जाने के लिए आपदा उपकरणों का डैमों भी किया गया। इस मौके पर टीम ने आपदा के दौरान होने वाली घटनाओं से बचने के उपाय बताये। इस मौके पर जनहानि को लेकर व मानसून सत्र को देखते हुए अभी से तैयार रहने के निर्देश भी कार्यशला में दिये गये। कार्यशाला में सीडीओ विजय कुमार जोगदंडे ने लोगों से आपदाओं की त्वरित जानकारी कन्ट्रोल रूम में देने की अपील की। उन्होंने कहा कि आपदा की घटनाओं से बचने के लिए जानकारी सबसे अहम है। इस मौके पर जिलाधिकारी सुशील कुमार ने कार्यशाला में शिरकत करते हुए कहा विशेषज्ञों की ओर से दी जा रही जानकारी आपदा की घटनाओं से बचने का बेहतर विकल्प है। उन्होंने लोगों से इन तकनीकी जानिकारियों को दैनिक जीवन में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया। इस मौक पर स्कूली बच्चांे को बनावटी भूकम्प का दृष्य एवं श्रव्य के माध्यम से अवलोकन कराया गया। कार्यशाला में आपदा के दौरान प्रयोग किये जाने वाले विभिन्न उपकरणों तथा उनके प्रयोग करने की जानकारी डैमो के माध्यम से दी गई। आज आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में स्कूली बच्चों के अलावा एसडीआरएफ, वन विभाग एंव पीआरडी स्वयंसेवकों ने बढ़चढकर भागीदार की। कार्यशाला में विद्यालयों के शिक्षक बन्धु समेत उपजिलाधिकारी सदर केएस नेगी उपस्थित रहे। कार्यशाला का संचालन दैवी आपदा समंवयक हबीबुल रहमान ने किया। फोटो समाचार जिला सूचना अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल।