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विस्तृत समाचार
सचिवालय में मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में कृषि विभाग की बैठक हुई।
एकीकृत फार्मिंग सिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे पर्वतीय क्षेत्र में कम जोत में किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिलेगा। फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की गई है। समूहों में कृषि यंत्र दिए जा रहे हैं, ताकि किसानों पर काम का बोझ कम पड़े। यह जानकारी मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में दी गई। गुरुवार को सचिवालय में कृषि विकास योजना के स्वीकृत समिति में 21 करोड़ रुपये के कार्ययोजना अनुमोदित की गई। संयुक्त सचिव भारत सरकार ने बताया कि कृषि के क्षेत्र में उत्तराखण्ड राज्य द्वारा लागू किये जा रहे अभिनव पहल को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा। राज्य में डीबीटी लागू होने और मृदा परीक्षण कार्ड बनने से किसानों को लाभ हो रहा है। पॉश (पॉइंट ऑफ सेल) मशीन में यह सुविधा है कि उर्वरक खरीदते समय पॉश उन्हें ज़मीन में पोषक तत्त्व की ज़रूरत बता देता है। एकीकृत फार्मिंग से किसान मछली पालन, मुर्गी पालन, पॉली हाउस खेती, फलदार पौध रोपण एकसाथ करके अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। बताया गया कि राज्य में 6 एरोमैटिक वैली भी विकसित किए जा रहे हैं। पौड़ी की पीड़ा घाटी और चमोली की औली घाटी को सुगंधित घाटी में विकसित करने का कार्य शुरू हो गया है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के संबंध में अवगत कराया गया कि कृषकों द्वारा मृदा परीक्षण की संस्तुति के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा है। डी.बी.टी. के माध्यम से उर्वरकों का वितरण किया जा रहा है। इस प्रकार मृदा परीक्षण संस्तुति से उर्वरकों के प्रयोग तथा डी.बी.टी. के कारण लगभग 58 हजार मै.टन यूरिया की खपत कम हुई है। मृदा परीक्षण संस्कृत के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करने के साथसाथ डी.बी.टी. से उर्वरकों की अनावश्यक बिक्री कम हुई है। उर्वरकों के विक्रय की सूचना पोर्टल पर अपलोड होती है, जिन कृषकों द्वारा 100 से अधिक बैग क्रय किए जाते हैं। उन कृषकों का सत्यापन प्रशासन द्वारा किया जाता है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि कृषकों एवं विक्रेता द्वारा उर्वरक का दुरूपयोग तो नहीं किया जा रहा है। इससे यूरिया उर्वरकों के अधिक उपयोग पर नियंत्रण हुआ है, जिसका प्रभाव अन्य कृषकों पर भी पड़ा है। अवगत कराया गया जहां यूरिया उर्वरक की खपत घटी है वहीं माइक्रोन्यूट्रेंट एवं अन्य उर्वरकों की खपत बढ़ी है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि जनपदों के प्रगतिशील कृषकों का व्हाट्सअप ग्रुप बनाया जाए ताकि वह अपने विचार एकदूसरे से साझा कर सके, इससे उनको सरकारी योजनाओं के साथसाथ मार्केटिंग की भी जानकारी होगी। सचिव कृषि द्वारा अवगत कराया गया है कि आर्गेनिक फार्मिंग के अन्तर्गत 3900 कलस्टर प्राप्त हुए हैं, जिनके चयन की कार्यवाही गतिमान है, जिनका चयन कृषि विभाग, उद्यान विभाग, जड़ीबूटी शोध संस्था, कैप द्वारा किया जा रहा है। अब तक 3500 कलस्टरों का चयन किया गया है, पूर्व में 585 कलस्टरों में कार्य किया गया, जिसमें 11700 है0 में पी.जी.एस. प्रमाणीकरण का कार्य हुआ है। यह भी अवगत कराया कि वर्तमान वर्ष में 65 हजार है0 में थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन का लक्ष्य है। सचिव कृषि द्वारा अवगत कराया गया कि कृषि यंत्रीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार से वित्तीय वर्ष के लिए रू.40 करोड़ का आवंटन प्राप्त हुआ है, जिसमें अधिक से अधिक फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए जा रहे हैं। इस संबंध में निर्देश दिए गए कि स्थानीय आवश्यकता एवं परिस्थितियों के अनुसार ही फार्म मशीनरी बैंक में यंत्र क्रय किए जाने चाहिए। सचिव पशुपालन श्री आर.मीनाक्षी सुन्दरम द्वारा एफ.एम.डी. तथा भेड़ एवं ऊन विकास बोर्ड द्वारा संचालित कार्यों की जानकारी दी गयी। अवगत कराया गया कि योजना में तीन ब्रीडिंग फार्म केदारकांठा, पीपलकोटी एवं डुण्डा को विकसित किया गया है, जिससे कृषकों को लाभ पहुंचा है। अहिल्या बाई होल्कर परियोजना से कृषकों को प्रशिक्षित किया गया है। ट्राउट फार्मिंग के अन्तर्गत रूद्रप्रयाग एवं चमोली में स्थानों का चयन किया गया है तथा लाभार्थी कृषकों द्वारा वहां पर सहकारी समितियां बनाई गयी है। बैठक में भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रतिनिधि कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग नई दिल्ली संयुक्त सचिव डाॅ.तारसेम चन्द, सचिव कृषि श्री डी.सेन्थिल पाण्डियन, जिलाधिकारी देहरादून श्री एस.ए.मुरूगेशन, गन्ना आयुक्त श्री ललित मोहन रयाल, कृषि, पशुपालन, उद्यान, निदेशक रेशम एवं अन्य रेखीय विभागों के निदेशक, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एवं अन्य प्रतिभागी उपस्थित थे।

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