शासन के निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारी रंजना ने रजिस्ट्रीकरण लेखपत्रों के रजिस्ट्रीकरण अनिवार्यता के सम्बन्ध में समस्त जनपद स्तरीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि विभिन्न निकाय ,संस्थान द्वारा निर्मित दुकानों, भवनों आदि को विक्रय,लीज/ठेका,अनुबन्ध के माध्मय से लोगों को उपलब्ध कराये जाते हैं लेकिन उसके सम्बन्ध में निकायों,संस्थानों द्वारा किसी प्रकार के विलेख को निश्पादित नहीं कराया जाता है। शासन द्वारा इस तथ्य को संज्ञान में लेते हुए कतिपय मामलों में लेखपत्र निश्पादित किये जाते हैं लेकिन उनका रजिस्ट्रीकरण निबन्धन विभाग के कार्यालय में नहीं कराया जाता है,कुछ तहबाजारी के ठेके नुमाईश के ठेके,खनन ठेके बाजार आदि के मामले विभागों द्वारा दिये जाते हैं लेकिन ऐसे ठेके पत्रों पर उचित स्टाम्प शुल्क अदा नहीं किया जाता है। उन्होंने समस्त विभागीय अधिकारियों को रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 की धारा17 तथा भारतीय स्टाम्प अधिनियम ,1899 की धारा के प्राविधानों के अन्तर्गत वर्णित मामलों का रजिस्ट्रीकरण सुनिश्चित कराने को कहा है। उन्होंने समस्त विभागों,प्राधिकरणों,निकायों,संस्थानों,निगमों,परिशदों कार्यालयों जहाॅं पर किसी भी लेखपत्र का निश्पादन होता हो के पीठासीन अधिकारियों से उपरोक्तानुसार कार्यवाही सुनिश्चित कराने को कहा है। यदि किसी बिन्दु पर भ्रम की स्थिति हो तो उसके निस्तारण के लिए महानिरीक्षक निबन्धन,उत्तराखण्ड को सन्दर्भ प्रेशित करें। उन्होंने समस्त जनपद स्तरीय अधिकारियों को शासन के आदेशोें का कडाई से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है। आदेशों के अनुपालन में शिथिलता पाये जाने पर शासकीय राजस्व की हानि के लिए सम्बन्धित को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी मानते हुए उसके विरूद्ध कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। |