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विस्तृत समाचार
देवबंदरुड़की रेल लाइन के निर्माण के कार्य की कवायद फिर शुरू हो गयी है।
देवबंदरुड़की रेल लाइन के निर्माण के कार्य की कवायद फिर शुरू हो गयी है। पहले रेल निगम ने इस कार्य को स्थगित कर दिया था। मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में देवबंद रुड़की रेल लाइन के लिए भूअधिकरण और ऋषिकेशकर्णप्रयाग रेल परियोजना के बारे में बैठक की। 170 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली देवबंदरुड़की रेल लाइन के निर्माण में 51 हेक्टेयर भूमि आएगी। इसमें 5 गांव का 11 किलोमीटर उत्तराखंड की सीमा में आएंगे। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि जिलाधिकारी हरिद्वार की अध्यक्षता में समन्वय समिति बनाई जाए। राजस्व, वन, बिजली, जल संस्थान, लोनिवि, उद्यान आदि विभागों के साथ संयुक्त निरीक्षण कर टाइम फ्रेम जारी किया जाए। सितंबर 2018 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ऋषिकेशकर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के प्रगति के समीक्षा की गई। फारेस्ट क्लियरेंस और भूअधिग्रहण की प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। इस माह के अंत तक क्षतिपूर्ति की धनराशि रेल निर्माण निगम को जमा करने के लिए कहा गया है। ऋषिकेशकर्णप्रयाग रेल परियोजना का कार्य 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। लगभग 126 किलोमीटर लंबी रेल लाइन में 12 स्टेशन, 17 सुरंग, 36 पुल बनेंगे। इससे टिहरी, पौडी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, चमोली जिले के लोगों को लाभ होगा। रेल विकास निगम लिमिटेड द्वारा रेल मार्ग, सुरंग आदि का व्यापक सर्वेक्षण कर लिया गया है। ऋषिकेश में पुल बनाने के लिए एलटी(लो टेंशन) लाइन को डायवर्ट किया जाना है। पिटकुल की एचटी (हाई टेंशन) को डायवर्ट करने के लिए फॉरेस्ट क्लियरेंस लेना है। जल संस्थान की 01 सीवर लाइन और 03 वाटर सप्लाई लाइन को शिफ्ट किया जाना है। इसके साथ ही वन रंेज ऑफिस ऋषिकेश को भी शिफ्ट किया जाना है। भूअधिग्रहण के लिए हुए प्रशासकीय व्यय के रूप में 5 करोड रुपए टिहरी, पौडी, रुद्रप्रयाग व चमोली जिलों को दिए गए हैं। भवन आदि परिसंपत्तियों का मूल्यांकन लोनिवि से कराया जा रहा है। बैठक में सचिव परिवहन डी.सेंथिल पांडियन, सचिव राजस्व हरबंस सिंह चुघ, सचिव गृह विनोद शर्मा, अपर सचिव शहरी विकास विनोद सुमन, चीफ प्रोजेक्ट इंजीनियर रेलवे प्रमोद शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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